नव वर्ष


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बाग में महुआ सुगंधित मन लुभाता है,
आम के बौरों पे भँवरा गीत गाता है ;
स्वर्ण सी आभा बिखेरे खेत में गेहूँ,
मित्र तब अपना प्रिये नव वर्ष आता है।
– ओमप्रकाश तिवारी

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