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नव वर्ष

ॐ…….बाग में महुआ सुगंधित मन लुभाता है, आम के बौरों पे भँवरा गीत गाता है ;स्वर्ण सी आभा बिखेरे खेत में गेहूँ,मित्र तब अपना प्रिये

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जग पानी के लिए रो रहा

जग पानी के लिए रो रहाहोकर पानी – पानी राम,रहते वक्त न ये जग चेताबिगड़ी तभी कहानी राम ।नदियां सूखीं, पोखर सूखेसूखे कुएं तलाव रे,हैंडपंप

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एक प्रार्थना

हे प्रभू वह मति प्रसारोसब करें कल्याण सबका।करि कृपा सारे जगत कोदीजिए वह चेतना,कर सकें महसूस हम सबहर किसी की वेदना;प्रेम का विस्तार होइस स्वार्थी

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