Chhand

सरयू मन मा मुस्काय रहीं

ॐ……. सरयू तट शीश धरे कलशासब नारिहिं हैं बतियाय रहीं।प्रभु राम व तीनिहुँ भायन केहँसि के सब हाल सुनाय रहीं।सुनि बात सबै पनिहारिन कीसरयू मन

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हठ नेग के हेतु

ॐ सुनि राम के जन्म कि बात सखीरनिवास की ओरहिं धावति हैं। कोउ ढोल कोऊ ढपली खंझड़ी कोउ थालिहिं पीटि बजावति हैं।कुछ झूमि दलान में

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नगारहिं बाजि रहे

ॐ……शनि, मंगल, सूर्य व शुक्र, गुरुअपने ग्रह उच्च विराजि रहे।जब लग्न में चंद्र-बृहस्पति चैत्र केशुक्ल की नवमी को साजि रहे।नभ में सब देव करें जयकारव

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