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हठ नेग के हेतु

ॐ सुनि राम के जन्म कि बात सखीरनिवास की ओरहिं धावति हैं। कोउ ढोल कोऊ ढपली खंझड़ी कोउ थालिहिं पीटि बजावति हैं।कुछ झूमि दलान में

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नगारहिं बाजि रहे

ॐ……शनि, मंगल, सूर्य व शुक्र, गुरुअपने ग्रह उच्च विराजि रहे।जब लग्न में चंद्र-बृहस्पति चैत्र केशुक्ल की नवमी को साजि रहे।नभ में सब देव करें जयकारव

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जग पानी के लिए रो रहा

जग पानी के लिए रो रहाहोकर पानी – पानी राम,रहते वक्त न ये जग चेताबिगड़ी तभी कहानी राम ।नदियां सूखीं, पोखर सूखेसूखे कुएं तलाव रे,हैंडपंप

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एक प्रार्थना

हे प्रभू वह मति प्रसारोसब करें कल्याण सबका।करि कृपा सारे जगत कोदीजिए वह चेतना,कर सकें महसूस हम सबहर किसी की वेदना;प्रेम का विस्तार होइस स्वार्थी

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राम विरोधी

कहने दो जो कह रहे उलटी-सीधी बात,वे तो अपने साथ ही आज कर रहे घात।आज कर रहे घात न मंदिर जिन्हें सुहाता,चार महीने बाद वही

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नयन भरे हैं आज

सहते आए पांच सौ वर्ष तलक अपमान,आज करें मिलकर सभी प्रभु का स्तुतिगान।प्रभु का स्तुतिगान आ गई है शुभ बेला, हुआ आज से खत्म समझिए सेक्युलर खेला

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मैं, और मेरी अयोध्या

मैं, और मेरी अयोध्या ऊँ ….. जय श्रीराम ……………. लखनऊ से प्रकाशित होनेवाला दैनिक स्वतंत्र चेतना औपचारिक तौर पर मेरा पहला अखबार था, जहां मुझे बाकायदा

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