Om Prakash Tiwari

किसान आंदोलन

गेहूं – चावल से इतर आप उगाओ दाल,
ताकि सुधरे देश में दलहन का कुछ हाल।

यशस्वी

रहो ‘यशस्वी’ तुम बने कर रन की बौछार,
हर बॉलर की गेंद को भेजो सीमा पार।

कारण खोजो

कारण क्या जो छोड़कर लोग जा रहे साथ,
रोज बिगड़ती जा रही अपनों से ही बात।

चुनावी बांड 

काला धन ही है सही क्या करना है बांड,
नहीं चाहते लोग जब देश बने इक ब्रांड।

रायबरेली

रायबरेली हो गई देखो आज ‘अनाथ’,
मैडम ने भी आज जब छोड़ा उसका साथ।

अबुधाबी में मंदिर

गूँजे कहीं विदेश में जब घंटा – घड़ियाल,
ऊँचा होता सुन उसे हर हिंदू का भाल।

बैटर

बैटर थे वह ओपनर किंतु हो गए कैच,
सकते में हैं टीम अब कैसे खेले मैच।

सफेदी बाल पर

सफेदी बाल पर गाल पर झुर्रियां
खिल रहीं सूरते हाल पर झुर्रियां

मौन के हथियार से

जीतिए दिल दुश्मनों का आप अपने प्यार से,बोलने वालों से लड़िए मौन के हथियार से।हो जहाँ नाकाम लश्कर भी सिकंदर वीर का,जंग जीती हैं गई इक तबस्सुम की मार से ।पीढ़ियों से धधकती ज्वाला भी बुझती है मियाँ,आपके मीठे वचन की एक मस्त फुहार से।जंग जीतो इस तरह कि राज सबके दिल पे हो,बच के […]

सरयू मन मा मुस्काय रहीं

सरयू तट शीश धरे कलशा
सब नारिहिं हैं बतियाय रहीं।