- Om Prakash Tiwari
- January 26, 2024
सफेदी बाल पर
सफेदी बाल पर गाल पर झुर्रियांखिल रहीं सूरते हाल पर झुर्रियां इक तिजोरी तजुर्बों की समझो इन्हेंब्याज हैं मूल के माल पर झुर्रियां जिंदगी के
सफेदी बाल पर गाल पर झुर्रियांखिल रहीं सूरते हाल पर झुर्रियां इक तिजोरी तजुर्बों की समझो इन्हेंब्याज हैं मूल के माल पर झुर्रियां जिंदगी के
जीतिए दिल दुश्मनों का आप अपने प्यार से,बोलने वालों से लड़िए मौन के हथियार से।हो जहाँ नाकाम लश्कर भी सिकंदर वीर का,जंग जीती हैं गई
ॐ……. सरयू तट शीश धरे कलशासब नारिहिं हैं बतियाय रहीं।प्रभु राम व तीनिहुँ भायन केहँसि के सब हाल सुनाय रहीं।सुनि बात सबै पनिहारिन कीसरयू मन
ॐ सुनि राम के जन्म कि बात सखीरनिवास की ओरहिं धावति हैं। कोउ ढोल कोऊ ढपली खंझड़ी कोउ थालिहिं पीटि बजावति हैं।कुछ झूमि दलान में
ॐ……शनि, मंगल, सूर्य व शुक्र, गुरुअपने ग्रह उच्च विराजि रहे।जब लग्न में चंद्र-बृहस्पति चैत्र केशुक्ल की नवमी को साजि रहे।नभ में सब देव करें जयकारव
जग पानी के लिए रो रहाहोकर पानी – पानी राम,रहते वक्त न ये जग चेताबिगड़ी तभी कहानी राम ।नदियां सूखीं, पोखर सूखेसूखे कुएं तलाव रे,हैंडपंप
हे प्रभू वह मति प्रसारोसब करें कल्याण सबका।करि कृपा सारे जगत कोदीजिए वह चेतना,कर सकें महसूस हम सबहर किसी की वेदना;प्रेम का विस्तार होइस स्वार्थी
कहने दो जो कह रहे उलटी-सीधी बात,वे तो अपने साथ ही आज कर रहे घात।आज कर रहे घात न मंदिर जिन्हें सुहाता,चार महीने बाद वही
सहते आए पांच सौ वर्ष तलक अपमान,आज करें मिलकर सभी प्रभु का स्तुतिगान।प्रभु का स्तुतिगान आ गई है शुभ बेला, हुआ आज से खत्म समझिए सेक्युलर खेला
मैं, और मेरी अयोध्या ऊँ ….. जय श्रीराम ……………. लखनऊ से प्रकाशित होनेवाला दैनिक स्वतंत्र चेतना औपचारिक तौर पर मेरा पहला अखबार था, जहां मुझे बाकायदा