हठ नेग के हेतु


सुनि राम के जन्म कि बात सखी
रनिवास की ओरहिं धावति हैं।
कोउ ढोल कोऊ ढपली खंझड़ी
कोउ थालिहिं पीटि बजावति हैं।
कुछ झूमि दलान में नाचति हैं
सुर साधि के सोहर गावति हैं।
कुछ घेरि के राजा की राह खड़ी
हठ नेग के हेतु देखावति हैं।