ऊँ
…..
आंखें खोलो, सोचकर बोलो अब अखिलेश,
वाणी के अविवेक पर थूक रहा है देश।
थूक रहा है देश दोष क्या था बच्चों का,
लगा रहे हो आप सियासत वाला छौंका।
‘मत’ को मत दो मोल तोलकर बोली बोलो,
चश्मा हरा हटाय दया की आंखें खोलो !
– ओमप्रकाश तिवारी
बदायूं
ऊँ
…..
आंखें खोलो, सोचकर बोलो अब अखिलेश,
वाणी के अविवेक पर थूक रहा है देश।
थूक रहा है देश दोष क्या था बच्चों का,
लगा रहे हो आप सियासत वाला छौंका।
‘मत’ को मत दो मोल तोलकर बोली बोलो,
चश्मा हरा हटाय दया की आंखें खोलो !
– ओमप्रकाश तिवारी