ॐ
……
भाता जिनको है नहीं चहक रहा कश्मीर,
उनके ही सिर हो रही बड़ी आजकल पीर।
बड़ी आजकल पीर फहरता वहां तिरंगा,
करते थे हर रोज जहां आतंकी दंगा।
रहे मचाते लूट वहां बन भाग्य विधाता,
बदल रहा कश्मीर भला क्यों उनको भाता !
– ओमप्रकाश तिवारी

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भाता जिनको है नहीं चहक रहा कश्मीर,
उनके ही सिर हो रही बड़ी आजकल पीर।
बड़ी आजकल पीर फहरता वहां तिरंगा,
करते थे हर रोज जहां आतंकी दंगा।
रहे मचाते लूट वहां बन भाग्य विधाता,
बदल रहा कश्मीर भला क्यों उनको भाता !
– ओमप्रकाश तिवारी