ॐ
…….
बाग में महुआ सुगंधित मन लुभाता है,
आम के बौरों पे भँवरा गीत गाता है ;
स्वर्ण सी आभा बिखेरे खेत में गेहूँ,
मित्र तब अपना प्रिये नव वर्ष आता है।
– ओमप्रकाश तिवारी
नव वर्ष
ॐ
…….
बाग में महुआ सुगंधित मन लुभाता है,
आम के बौरों पे भँवरा गीत गाता है ;
स्वर्ण सी आभा बिखेरे खेत में गेहूँ,
मित्र तब अपना प्रिये नव वर्ष आता है।
– ओमप्रकाश तिवारी