ॐ
……
शनि, मंगल, सूर्य व शुक्र, गुरु
अपने ग्रह उच्च विराजि रहे।
जब लग्न में चंद्र-बृहस्पति चैत्र के
शुक्ल की नवमी को साजि रहे।
नभ में सब देव करें जयकार
व पुष्प सुगंधित गाँजि रहे।
जनमे जग में जब रामलला
चहुँ ओर नगारहिं बाजि रहे।
नगारहिं बाजि रहे
ॐ
……
शनि, मंगल, सूर्य व शुक्र, गुरु
अपने ग्रह उच्च विराजि रहे।
जब लग्न में चंद्र-बृहस्पति चैत्र के
शुक्ल की नवमी को साजि रहे।
नभ में सब देव करें जयकार
व पुष्प सुगंधित गाँजि रहे।
जनमे जग में जब रामलला
चहुँ ओर नगारहिं बाजि रहे।